२३ दिसंबर को स्वामी जी का बलिदान हुआ था वे पहले नास्तिक थे उनके पिता जी बड़े ही धार्मिक श्राद्धवन पुरुष थे बरेली में कोतवाल अपने नास्तिक पुत्र को लेकर चिंतित रहते सौभाग्य से बरेली में आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का प्रवास था वे अपने नास्तिक पुत्र मुंशीराम को लेकर प्रवचन सुनने गए फिर क्या था महर्षि का प्रभाव ऐसा कि मुंशीराम हमेसा के लिए श्रद्धानंद बनकर दयानंद सरस्वती के हो ही नहीं तो उनके सफल उत्तराधिकारी साबित हुए महर्षि चाहते थे हिन्दू समाज से छुवा-छूत, भेद-भाव ख़त्म हो, समारस समाज का निर्माण हो वे समाज कि बुराईयों को देख बिहबल हो जाते, भारत वर्ष के सभी बिछड़े हुए बंधू पुनः अपने घर यानी हिन्दू धर्म में वापस आये सदियों से गुलाम भारत पुनः आज़ाद ही नहीं तो वैदिक भारत का स्वरुप ग्रहण करे.
स्वामी श्रद्धानंद, महर्षि के उत्तराधिकारी होने के पश्चात् वैदिक शिक्षा हेतु गुरुकुल कांगणी विवि. प्रारम्भ किया इतना ही नहीं भारतीय शिक्षा का अभियान ही चलाया, देश आज़ादी और समारस समाज हेतु पूरे संगठन (आर्यसमाज) को झोक दिया,आवामी जी ने हज़ारो क्रान्तिकारियो को आज़ादी हेतु फांसी के लिए प्रेरित किया शहीद रामप्रसाद विस्मिल, लाला लाजपतराय जैसे महान क्रन्तिकारी यहीं से पैदा हुए स्वामी जी अपने गुरु का आदेश मान शुद्धि आंदोलन में जुट गए वे कई मोर्चे पर काम करते थे स्वामी जी पुनर्हिन्दु राष्ट्र निर्माण के पुरोधा थे उन्होंने हिन्दु महासभा के गठन में केवल अग्रगणी भूमिका ही नहीं निभाया वल्कि हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बनकर संगठन को देश ब्यापी बनाया भारत हिन्दू राष्ट्र हो इसकी आधार शिला रखी जिसपर आज राष्ट्रवादी काम कर रहे हैं.
स्वामी जी ने सुद्धि यानी घर वापसी को आंदोलन का स्वरुप दे दिया देश भर में सुद्धि सभा का कथन कर सैकड़ों गावों के हज़ारों मुसलमानो को पुनः सनातन हिन्दू धर्म में आने के लिए प्रेरित किया प.उत्तर प्रदेश के ८९ गांव के हज़ारों मुसलमानो को हिन्दू धर्म में शामिलकर राष्ट्र की मुख्य धारा में लाये पूरे भारत में हिंदुत्व् का जागरण तेज हो गया राजस्थान के सवालाख मलकाना मुस्लिम राजपूतों की वापसी कुछ अतिवादियों मुल्ला. मौलबियों को बर्दास्त नहीं हुआ, अब्दुल रशीद नाम का एक सिरफिरे ने स्वामी जी को २३ दिसंबर १९३६ को गोलीमारकर हत्या करदी अब्दुल रशीद को फासी न हो इसके लिए गांधी जी सरकार से अपील की, उनकी कृति जबतक हिन्दू रहेगा तब-तक अमर रहेगी, आइये धर्मजागरण के आवाहन पर स्वामी जी के बलिदान दिवस को धर्म रक्षा दिवस के रूप में मनाये यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी आज के दिन सुदूर गाव, शहर के हज़ारों स्थानो पर कार्यक्रम कर स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें. .