अपराजेय हिंदू राष्ट्र ---!
अपराजेय हिंदूराष्ट्र सन 1857 की क्रांति की असफलता के दोषी वै लोग हैं जिन्होंने अपनी अलस्य और प्रमाद तथा स्वार्थपरता और विश्वासघात से इस पर मर्मान्तक प्रहार किये। उन महान वीरों को इसकी सफलता के लिए...
View Articleयवनान्तक सम्राट पुष्यमित्र शुंग (मनुस्मृति सम्राट )
9मौर्य साम्राज्य की संकल्पना सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का देहांत ईसा पूर्व 298 में हुआ था। तत्पश्चात उसका पुत्र बिंदुसार राज सिंहासन पर बैठा। वह भी चद्रगुप्त के सामान ही पराक्रमी था, उसने स्वयं...
View Articleबांग्लादेश में हिंदू नर संहार....!
आखिर हिंदू जाये तो जाये कहाँ --?हिन्दुओं की सबसे बड़ी पराजय उस समय हुई जब 15अगस्त 1947 को धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ। पश्चिम के लुटेरे जो धर्म का चोला पहनकर भारत में आये सीधा साधा हिंदू समाज...
View Articleदेश में अराजकता फैलाने का प्रयास...!
भारत के खिलाफ षड़यंत्र "कहा जाता है कि इसरायल दुश्मनो से घिरा हुआ है तो भारत दुश्मनों से भरा हुआ है।"भारत ने लगभग एक हजार वर्ष संघर्ष करके अपने अस्तित्व को बचाकर रखा हुआ है। यदि भारत अपने दुर्भाग्य को...
View Articleहिन्दवी साम्राज्य की प्रेरक राजमाता जीजाबाई (मनुस्मृति की नारी )
माता जीजाबाईहोनहार विरवान के होत चीकने पात !महाराष्ट्र के एक गांव में एक सात वर्ष की बालिका कुछ अपने गांव के बच्चों के साथ खेल रही थी जिसका जन्म १२ जनवरी १५९८ को''जिजाऊ महल'''अहमद नगर सल्तनत' में तभी...
View Articleकांग्रेस का आजादी में नहीं ! देश विभाजन में योगदान।
कांग्रेस और देश विभाजन बिना स्वराज्य के स्वधर्म का पालन नहीं देश आजादी का एक मंत्र था "बिना स्वराज्य के स्वधर्म का पालन नहीं किया जा सकता।"यह मंत्र कोई नया नहीं था यही मंत्र लेकर कोई ढाई हजार वर्ष...
View Articleएक और दधीचि परंपरा का अंत (मा ओमप्रकाश गर्ग )
एक और दधीचि परंपरा का अंत मै गोरखपुर में विभाग प्रचारक था मार्च 1999 की प्रतिनिधि सभा लखनऊ में थी, जहाँ मेरी योजना नेपाल अधिराज्य के लिए हो गई। मैं मई के अंतिम सप्ताह में काठमांडू पंहुचा वैसे तो मा...
View Articleजातीय व्यवस्था, अंग्रेज और मनुस्मृति
प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक धर्मपाल एक प्रश्न के उत्तर में कहते हैं कि गावों की तरह जातियाँ भी भारतीय समाज का अभिन्न अंग है। यह सच है कि "मनुस्मृति "के अनुसार समाज किसी निश्चित समय पर चार वर्णों में...
View Articleऐसे होती है गौसेवा --"चाकुलिया गौशाला"जमशेदपुर, झारखण्ड
गोशाला ध्यान फाउंडेशन भारतीय संस्कृति और भारत जब हम किसी देश की बात करते हैं तो उसकी सुरक्षा उसके विकास की भी बात होती है तब हमें ध्यान में आता है कि बिना संस्कृति और बिना धर्म की सुरक्षा के देश की...
View Articleफिसलता झारखंड
चर्चं व घुसपैठियों चंगुल में फंसता झारखण्ड झारखण्ड की हालत बद से बदतर होती जा रही है यदि किसी देश को समाप्त करना हो तो सर्व प्रथम उस देश की संस्कृति को समाप्त करना होता है। फिर यदि किसी देश पर कब्ज़ा...
View Articleकांग्रेस उपनिवेशवादी पार्टी अथवा ईसाईयत-इस्लामिक ?
कांग्रेस की स्थापना कांग्रेस को समझने के लिए सर्व प्रथम कांग्रेस के इतिहास को समझना होगा। कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई और इसकी आवस्यकता क्या थी ? अब हमें भारतीय राजाओं, साधू संतों की एकता और उनके...
View Articleभारतीय संस्कृति का प्रतीक प्रयागराज महाकुम्भ
महाकुम्भ कुम्भ सनातन धर्म में आस्था का विषय है, यह हिंदू संस्कृति के आस्था का प्रतीक है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में भी इसका वर्णन है। सूर्य की बारह राशियों में से एक राशि का नाम कुम्भ है। किसी भी...
View Articleसमयानुसार धर्मरक्षार्थ शंकराचार्यों की संख्या बढ़नी चाहिए --!
सनातन वैदिक धर्म नित्य नूतन परिवर्तन शील है, सभी को समाहित करने की क्षमता है। समय -समय पर समाज में बदलाव करने की आवस्यकता होने पर हमारे धर्मचार्यो ने समयानुकूल परिवर्तन भी किया है। लेकिन जो मूल तत्व...
View Articleक्षत्रपति शिवाजी महराज एक दूरदर्शी नेतृत्व..!
शिवाजी की दूरदर्शिता 19फ़रवरी 1630 को एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ जिसने भारत के विचार की दिशा और दशा दोनों बदल दिया जिसने लम्बे समय के पश्चात् भारत में आत्मविश्वास पैदा किया जिसका नाम था हिन्दवी...
View Articleमौलाना आजाद को समझिए..! स्वतंत्रता सेनानी अथवा और कुछ ?
मौलाना अबुल कलाम आजाद के 27 अक्तूबर 1914 को कलकत्ता में दिए गए भाषण के कुछ अंश"य़ह (मुस्लिम) बिरादरी अल्लाह द्वारा स्थापित की गयी है•••सारे दुनियावी सम्बंध खत्म हो सकते हैं पर य़ह (मुस्लमान का...
View Articleमहाकुंभ और उसकी परिणिति..!
महाकुम्भ मनुस्मृति का प्रदुर्भाव न राज्यम न राजाषित न दंडो न दण्डिका महाभारत में भीष्म पितामह बाण शैया पर पड़े थे धर्मराज युधिष्ठिर उनसे पूछते हैं कि हे पितामह जब राज्य नहीं थे और राजा नहीं थे तो शासन...
View Articleमुगल मर्दनी "महारानी ताराबाई"
मराठा साम्राज्य की महारानी ताराबाई छत्रपति संभाजी महाराज के मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य वह हिंदवी स्वराज्य कटक से अटक का छत्रपति शिवाजी महाराज के सपने को जागृत रखने का काम उनकी कुलबधू छत्रपति...
View Articleऐतरेय ब्राह्मण के रचयिता महिदास ऐतरेय
महिदास का जन्म भारतीय परंपरा में इतिहास लेखन की अद्भुत परंपरा रही है, पश्चिम के इतिहासकार यह कहते नहीं अघाते कि भारत में इतिहास लेखन की परंपरा नहीं थी। उन लोगों ने न तो हमारे ब्राह्मण ग्रंथो को पढ़ा न...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ.. सूर्या सावित्री..!
सूर्या सावित्री किसी देश का चरित्र कैसा होता है ? वह उस देश के महापुरुषों के चरित्र को देखना चाहिए उसका उदाहरण भारतीय महापुरुषों से लिया जा सकता है। जैसे शूद्रों को स्त्रियों को वेद पढ़ने का अधिकार है...
View Articleमुर्शिदाबाद का भयावह सच...!
मुर्शिदाबाद का भयावह सच "अवधेश कुमार"पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से लेकर मध्यप्रदेश का गुना और इसके पहले नागपुर , मलाड आदि की घटनाओं से निस्संदेह देश को डरना चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं कि डर कर चुपचाप...
View Articleबेलगाम होती मजहब की हिंसक प्रवृतियां
ऐसी हिंसा के लिए स्थायी तंत्र की आवश्यकता अवधेश कुमारऐसा स्वभाव वन गया है नागपुर , मुंबई के मलाड और हजारीबाग की हिंसा लगातार घट रही उस डरावनी प्रवृत्ति को ही दर्शाती है जिसे देश पिछले मोटा-मोटी तीन...
View Articleवैदिक ऋषि "शुन:शेप"....।
शुन:शेप भारतीय राष्ट्र का निर्माण कैसे हुआ ? किसने किया ? किस प्रकार हुआ ? यह कहना बड़ा कठिन है। आज के हज़ारों लाखों वर्ष ही नहीं तो करोङो वर्ष पहले राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी थी हम...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ...! ऋषिका लोपामुद्रा
"यत्र नारियस्य पूज्यंते रमंते तत्र देवता।" ( "मनुस्मृति")सनातन धर्म में सर्वाधिक पुराना सर्वमान्य ग्रन्थ, सनातन विधान "मनुस्मृति"में "महर्षि मनु"ने ये लिखा, जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ..! लोमहर्षिणी
वैदिक ऋषिकाएं भारतीय वांगमय में जो स्थान नारी को दिया गया है वह विश्व के किसी भी संस्कृति में दिखाई नहीं देता यहाँ पुरुषों से अधिक महिलाओं का स्थान है। जहाँ ऋषि महर्षि मंत्र दृष्टा है वहीं अनेक नारिया...
View Articleतक्षक, महाराजा नागभट्ट द्वितीय और अरबों के आक्रमण
अरबों के बर्बर आक्रमण तक्षक का दर्द और बदला देखिए तो आंखों से आंसू भी आएंगे और सीना चौड़ा भी हो जाएगा।सन 711ई. की बात है। अरब के पहले मुस्लिम आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम के आतंकवादियों ने मुल्तान विजय...
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