विदेह राजा जनक की धर्मसभा मे जब गार्गी ने बहुत सारे संवाद द्वारा यज्ञबल्क्य को परास्त न कर सकी यज्ञबल्क्य ने सभी का समुचित उत्तर दे दिया तब गार्गी ने कहा की हे विद्वान ब्राह्मणों अब इनसे कोई प्रश्न न करो इन्हे कोई भी पराजित नहीं कर सकता।
विदग्ध-याज्ञवल्क्य संवाद
अब विदग्ध शाकल्य ने उनसे पूछा, हे याज्ञवल्क्य, देव कितने हैं-? उसने उत्तर दिया, 'निवित'से पता चलेगा जीतने वैश्वदेव निवित ('निविन्नाम देवतासंख्या -वाचकानी मंत्रपदानी कानिचिद वैश्वदेवे शस्त्र शस्यन्ते तानि निवित्संज्ञकानि--)मे देव बताए गए हैं उतने ही हैं, तीन और तीन सौ, तीन और तीन हज़ार,यानी तैतीस सौ, उसने कहा अच्छा। ''1''
फिर उसने पूछा हे याज्ञवल्क्य, देव कितने हैं ? तैतीस, अच्छा , हे याज्ञवल्क्य देव कितने हैं ? दो, अच्छा, हे याज्ञवल्क्य कितने देव हैं ? डेढ़, अच्छा । हे याज्ञवल्क्य देव कितने हैं? एक, अच्छा। तीन और तीन सौ, तीन और तीन हज़ार कौन से देव हैं ?''2''
याज्ञवाल्क्य ने उत्तर दिया, इतनी तो इनकी महिमा (बिभूतियाँ) हैं, देव तो तैतीस ही हैं, आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह अदित्या, ये हुए इकतीस, इन्द्र और प्रजापति, ये हुए तैतीस ''3''
'वसु कौन-कौन हैं' ? 'अग्नि, पृथबी, वायु, अन्तरिक्ष, आदित्य, धौ, चंद्रमा, नक्षत्र, ये वसु हैं।
इनहि मे सब जगत वसा हुआ है, यही सब जगत को बसाते हैं, इस सब जगत को बसाते हैं इसलिए इसका नाम वसु है। ''4''
'रुद्र कौन-कौन है' ? पुरुष के शरीर मे दस प्राण है और ग्यारहवाँ आत्मा, जब ये मर्त्य शरीर से निकलते हैं तो इनको रुलाते हैं, रुलाते हैं इसलिए इंका नाम रुद्र है। ''5''
'आदित्य कौन-कौन है' ? वर्ष के बारह मास, यह इस जगत को ग्रहण करते हैं इसलिए इनको आदित्य कहते हैं। ''6''
'इन्द्र कौन है-? और प्रजापति कौन है' ? स्तनयीत्नु इन्द्र हैं और यज्ञ प्रजापति हैं, 'स्तनयीत्नु क्या है' ? 'अशनि या बिजली', यज्ञ क्या है ? ''पशु''। ''7''
'छः देव कौन' ? 'अग्नि,पृथबी, वायु, अन्तरिक्ष, धौ, ये छः देव हैं'यह सब छः देव हुए। ''8''
'तीन देव कौन-कौन है' ? यही तीन लोक है इनहि मे से तो ये सब देव हैं, 'दो देव कौन हैं, ? ''अन्न और प्राण'', डेढ़ कौन हैं ? 'यह वायु जो बहता है'। ''9''
तब कहा, यह तो एक ही है जो बहता है फिर यह डेढ़ कैसे हुआ ? इसी से तो सबकी समृद्धि होती है इसलिए डेढ़ हुआ । एक देव कौन हुआ ? वह ब्रम्हा हैं जिसको 'त्यद'कहते हैं। ''10''
राजा जनक ने जब याज्ञबल्क्य से पूछा जो मै स्वप्न मे देखता हूँ वह भी सत्य दिखाई देता हैं जब जागता हूँ तो वह नहीं, शरीर व आत्मा वही है तो क्या सत्य है-? याज्ञबल्क्य ने कहा न ये सत्य है न वो सत्य है केवल ब्रम्हा सत्या है। ब्रम्हा यानि अहम ब्रंहास्मी, एकेश्वर वाद जहां ब्रम्हा यानि वेदज्ञ जिसे आदि शंकर ने ''ब्रम्हा सत्य जगत मिथ्या''बताया और तुलसीदास ने कहा कि ''बिनु पग चलय सुनय बिन काना, बिन कर कर्म करय बिधि नाना''जिसकी ब्याख्या याज्ञबल्क्य ने विदेहराज से किया ।
विदेह ने पूछा कि गुरु कौन है ? याज्ञबल्क्य ने बताया मटा, पिता प्रथम गुरु है, फिर जनक ने पूछा कि गुरु कौन है ? याज्ञबल्क्य ने उत्तर दिया जो शिक्षा देता है वह गुरु है,
विदग्ध-याज्ञवल्क्य संवाद
अब विदग्ध शाकल्य ने उनसे पूछा, हे याज्ञवल्क्य, देव कितने हैं-? उसने उत्तर दिया, 'निवित'से पता चलेगा जीतने वैश्वदेव निवित ('निविन्नाम देवतासंख्या -वाचकानी मंत्रपदानी कानिचिद वैश्वदेवे शस्त्र शस्यन्ते तानि निवित्संज्ञकानि--)मे देव बताए गए हैं उतने ही हैं, तीन और तीन सौ, तीन और तीन हज़ार,यानी तैतीस सौ, उसने कहा अच्छा। ''1''
फिर उसने पूछा हे याज्ञवल्क्य, देव कितने हैं ? तैतीस, अच्छा , हे याज्ञवल्क्य देव कितने हैं ? दो, अच्छा, हे याज्ञवल्क्य कितने देव हैं ? डेढ़, अच्छा । हे याज्ञवल्क्य देव कितने हैं? एक, अच्छा। तीन और तीन सौ, तीन और तीन हज़ार कौन से देव हैं ?''2''
याज्ञवाल्क्य ने उत्तर दिया, इतनी तो इनकी महिमा (बिभूतियाँ) हैं, देव तो तैतीस ही हैं, आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह अदित्या, ये हुए इकतीस, इन्द्र और प्रजापति, ये हुए तैतीस ''3''
'वसु कौन-कौन हैं' ? 'अग्नि, पृथबी, वायु, अन्तरिक्ष, आदित्य, धौ, चंद्रमा, नक्षत्र, ये वसु हैं।
इनहि मे सब जगत वसा हुआ है, यही सब जगत को बसाते हैं, इस सब जगत को बसाते हैं इसलिए इसका नाम वसु है। ''4''
'रुद्र कौन-कौन है' ? पुरुष के शरीर मे दस प्राण है और ग्यारहवाँ आत्मा, जब ये मर्त्य शरीर से निकलते हैं तो इनको रुलाते हैं, रुलाते हैं इसलिए इंका नाम रुद्र है। ''5''
'आदित्य कौन-कौन है' ? वर्ष के बारह मास, यह इस जगत को ग्रहण करते हैं इसलिए इनको आदित्य कहते हैं। ''6''
'इन्द्र कौन है-? और प्रजापति कौन है' ? स्तनयीत्नु इन्द्र हैं और यज्ञ प्रजापति हैं, 'स्तनयीत्नु क्या है' ? 'अशनि या बिजली', यज्ञ क्या है ? ''पशु''। ''7''
'छः देव कौन' ? 'अग्नि,पृथबी, वायु, अन्तरिक्ष, धौ, ये छः देव हैं'यह सब छः देव हुए। ''8''
'तीन देव कौन-कौन है' ? यही तीन लोक है इनहि मे से तो ये सब देव हैं, 'दो देव कौन हैं, ? ''अन्न और प्राण'', डेढ़ कौन हैं ? 'यह वायु जो बहता है'। ''9''
तब कहा, यह तो एक ही है जो बहता है फिर यह डेढ़ कैसे हुआ ? इसी से तो सबकी समृद्धि होती है इसलिए डेढ़ हुआ । एक देव कौन हुआ ? वह ब्रम्हा हैं जिसको 'त्यद'कहते हैं। ''10''
राजा जनक ने जब याज्ञबल्क्य से पूछा जो मै स्वप्न मे देखता हूँ वह भी सत्य दिखाई देता हैं जब जागता हूँ तो वह नहीं, शरीर व आत्मा वही है तो क्या सत्य है-? याज्ञबल्क्य ने कहा न ये सत्य है न वो सत्य है केवल ब्रम्हा सत्या है। ब्रम्हा यानि अहम ब्रंहास्मी, एकेश्वर वाद जहां ब्रम्हा यानि वेदज्ञ जिसे आदि शंकर ने ''ब्रम्हा सत्य जगत मिथ्या''बताया और तुलसीदास ने कहा कि ''बिनु पग चलय सुनय बिन काना, बिन कर कर्म करय बिधि नाना''जिसकी ब्याख्या याज्ञबल्क्य ने विदेहराज से किया ।
विदेह ने पूछा कि गुरु कौन है ? याज्ञबल्क्य ने बताया मटा, पिता प्रथम गुरु है, फिर जनक ने पूछा कि गुरु कौन है ? याज्ञबल्क्य ने उत्तर दिया जो शिक्षा देता है वह गुरु है,