लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल -------
सरदार पटेल भारत निर्माण की नयी भूमिका में वे शिवा जी जैसे दूरदर्शी थे चाणक्य जैसे कुशल राजनीतिज्ञ और भगवान मनु जैसे शासन के आकांक्षी थे नेहरु के बिरोध के बावजूद भी भारतीय संस्कृति के प्रतीक...
View Articleभारत के लिए नेपाल कहीं बणवा- नल तो नहीं बनता जा रहा है------?
एक दिन इसी नवम्बर में रक्सौल में अपने एक कार्यकर्ता के यहाँ बैठा था उन्होंने बड़ी चिंता ब्यक्त की कहा की इतनी अधिक ट्रको की संख्या इतना खाद्य सामग्री और इन्फ्रा स्टक्चर के सामानों...
View Articleहिन्दुओ को बिधर्मियो (मुसलमानों,ईसाईयों) पर दया करने की आवस्यकता.
आज सारा विश्व आतंकबाद से परेशान है इस्लाम आतंकबाद का पर्याय बन गया है विश्व के सभी लोग मुसलमानों को देखकर भय क्रांत हो रहे है, आस्ट्रेलिया में मुसलमानों ने सरकार से अल्पसंख्यक के नाते हमें कुछ...
View Articleअमिय भूषण -------! आधुनिक नचिकेता जिसने अपना ध्येय -राष्ट्र और हिन्दू...
जिसका अंतर्मन --- हमारी सनातन वैदिक संस्कृति को, हमारे श्रेष्ठ हिन्दू धर्म को, हमारे स्वर्णिम इतिहास को नष्ट करने के इच्छुक धूर्त लोग, षणयंत्र कारी मिशनरियां सेवा का नाटक कर हमारे नवजवानों...
View Articleशुभ दीपावली -----अधर्म पर धर्म का विजय उत्सव- जो भारत का राष्ट्रीय पर्व बन गया
दीपावली आज हमारे जीवन में इतना रच-बस गया है की हमें पता ही नहीं की हम यह पर्व क्यों मनाते है इस त्यौहार पर प्रत्येक हिन्दू सर्वोत्तम मिठाई, पकवान बनाता, खाता है और बाटता भी है लक्ष्मी की...
View Articleआओ अष्ट्रावक्र तुम्हे प्रणाम करें !
अष्ट्रावक्र कहोड़ ऋषि के पुत्र थे बहुत बड़े वैदिक आचार्य ऋषि थे उनका गुरुकुल शिक्षा के लिए प्रसिद्द था, उस समय गुरु माता भोजन की ब्यवस्था करती थी ऋषि अपने शिष्यों को शिक्षा देने का काम करते थे उस...
View Articleगुरु तेगबहादुर-(हिन्द की चादर) --सीस दिआ पर सिरड न दिआ !
गुरु तेगबहादुर सिक्खों के नवें गुरु थे विश्व के इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शो तथा सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालो में गुरु तेगबहादुर का नाम अग्रगणी स्थान पर...
View Articleपारसमणि थे ------ ज्योति जी ! (शंकर व दयानंद परंपरा के वाहक )
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कौन नहीं जनता -----? हो सकता है की उसकी कार्य प्रणाली को नहीं जनता हो, संघ की परंपरा में प्रचारक ब्यवस्था जिसकी तुलना शंकराचार्य अथवा आर्यसमाज के सन्यास परंपरा...
View Articleहे -गुरु बृहस्पति पुत्र कच --! तुम्हे भारत फिर बुला रहा है ! तुम कब आओगे -?...
उपनिषद की कथा है हम सभी जानते है की भारत की वेदांत की कथाये हमें अपने ब्यवहार में लाने के लिए है, ऋग्वेद में एक मंत्र है ''अहं भूमिमददामायार्य ''! हे आर्यों यह भूमि इश्वर ने तुम्हारे लिए दी है...
View Articleहरिहरनाथ -मुक्तिनाथ यात्रा के आरंभिक पग (योजना,उपादेयता,उद्देश्य और सन्देश...
हिन्दू धर्म में तीर्थ और यात्राओ का बड़ा ही महत्व है भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश करते हुए कहा की ''सर्व धर्म परित्यज्यम मामेकंशरणम ब्रज '' यानी सभी धर्मो को छोड़कर तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे...
View Article६-दिसंबर (अयोध्या)----शांति पर्व अथवा राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति ---!
हे ६ दिसंबर तुम भारत के जागृत होने के सबूत हो, तुम सेकुलर देशद्रोहियों के उत्तर हो, बिना तुम्हारे हम अधूरे थे, आज सम्पूर्ण हिन्दू समाज का मस्तक ऊँचा हुआ, भारत के सुप्त राष्ट्रवाद को जगाकर विश्व...
View Articleभाड़े के सैनिको से युद्ध नहीं जीता जा सकता----!
आज पूरे देश में यह बड़ी जोर-सोर से चर्चा है की नरेन्द्र मोदी यदि प्रधानमंत्री के प्रत्यासी होते है तो NDA बिखर जायेगा, क्या बीजेपी का मिशन गठबंधन से पूरा होगा-? -- नहीं बीजेपी का मिशन सेकुलर...
View Articleसावधान आज क्रिसमस है कौन है ये और चाहते क्या हैं-?----!
आज २५ दिसंबर है बड़े प्रेम से हम इस दिन को क्रिसमस के नाते जानते है हम भारतीय बहुत सीधे होने के कारन इस दिन का बड़ा इंतजार भी करते हैं लेकिन यह हम नहीं जानते की इस दिन ने मानव समाज का कितना...
View Articleकुम्भ---- केवल हमारी परंपरा ही नहीं, हमारी सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय एकता का...
क्या है कुभ और महाकुम्भ --? ये केवल मेला नहीं अथवा कोई परंपरागत त्यौहार भी नहीं तो ये क्या है--? हमारे पूर्वजों ने ऐसा क्या किया--? जिसमे बिना किसी प्रचार-प्रसार के लाखों ही नहीं करोणों की...
View Articleबीजेपी का विदूषक चेहरा ---सुशील मोदी----!
विहार की धरती को कौन नहीं जनता यहाँ चाणक्य- चन्द्रगुप्त पैदा हुए, यही वह धरती है जिसमे शंकराचार्य और मंडान मिश्र का शास्त्रार्थ हुआ, यही वह भूमि है जहाँ कुमारिल भट्ट ने पुनः वैदिक धर्म की अलख...
View Articleक्षत्रपति संभाजी राजे---!
''होनहार विरवान के होत चीकने पात' जैसी चरितार्थ कथा यथार्थ यदि देखना हो तो क्षत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी को देखा जा सकता है धरती पर कदम रखते ही संघर्षो का जिसका साथ रहा हो जिसने ५-६...
View Articleसंत रविदास जिन्होंने बर्बर इस्लाम की चुनौती स्वीकार हिन्दू धर्म की रक्षा...
दिल्ली में सिकंदर लोदी का शासन था हिन्दू धर्मावलम्बियों का जीना दूभर हो गया था, उन पर बिभिन्न प्रकार के कर लगाये जा रहे थे शादी-ब्याह पर जजिया -कर, तीर्थ यात्रा पर जजिया -कर, यहाँ तक की...
View Articleकुम्भ में दिखा समरसता, एकात्मता और वैभव का प्रदर्शन--- मिडिया को रास नहीं आ...
कुम्भ प्रत्येक बारह वर्ष में एक बार प्रत्येक स्थान हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में लगता है जिसमे सर्बाधिक महत्व प्रयाग के कुम्भ का है वैसे तो प्रत्येक वर्ष प्रयाग में माघ मेला लगता...
View Articleआदि शंकर ----अभ्युत्थानमधर्मस्य ------------!
''जब कभी धर्म की हानि होती है, तभी मै आता हूँ'' ------- वे फिर से आये, इस बार देश के सुदूर दक्षिण में भगवान का अभिर्भाव हुआ, उस ब्राह्मण युवक का----- जिसके बारे में कहा गया कि तेरह वर्ष का...
View Articleकबिरा खड़ा बजार में --------!
कबीर दास जी का जन्म 1398 में काशी के लहरतारा नामक स्थान पर हुआ था कहते है उनके माता -पिता का पता नहीं था वे अनाथ थे उनका पालन-पोषण एक जुलाहा (तांती)यानी कपड़ा बुनकर (मुसलमान नहीं क्यों की उसके...
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