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Channel: दीर्घतमा
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बीजेपी का विदूषक चेहरा ---सुशील मोदी----!

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        विहार की धरती को कौन नहीं जनता यहाँ चाणक्य- चन्द्रगुप्त पैदा हुए, यही वह धरती है जिसमे शंकराचार्य और मंडान मिश्र का शास्त्रार्थ हुआ, यही वह भूमि है जहाँ कुमारिल भट्ट ने पुनः वैदिक धर्म की अलख को जगाने का कार्य प्रारंभ किया, यही बुद्ध के भी कर्म भूमि रही है, यहाँ विश्वामित्र, गौतम, जड़ भारत, गुरु तेगबहादुर की कर्म स्थली और गुरु गोविन्द सिंह की जन्म स्थली है, हाँ यहाँ पर काला पहाड़, बख्तियार खिलजी जैसे हमलावर भी आये जिन्होंने हमारी संस्कृति को ही नहीं समाप्त करने का प्रयास किया बल्कि नालंदा जैसे विश्व विद्यालय को जलाकर खाक कर दिया आज भारत आजाद है आजाद भारत में डॉ स्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय मंत्रिमंडल को छोड़कर जनसंघ की स्थापना की आरएसएस के सहयोग से यह पार्टी राष्ट्रबाद के सिद्धांत को लेकर अखिल भारतीय स्वरुप ग्रहण किया १९७४ -७५ में श्रीमती इंद्रा गाधी के तानाशाही के खिलाफ आन्दोलन हुआ जनता पार्टी बनी पहले अधिवेशन के कहा गया की यह पार्टी जनसंघ के सिद्धांतो पर चलेगी संघ और बीजेपी सहित तमाम हिन्दू बादी लाखो कार्यकर्ताओ के बल पर पार्टी सत्ता में भी आई.
        आइये हम बिहार पर विचार करें जिस भूमि का चर्चा कर रहे थे यहाँ कोई सूफी नाम की चीज नहीं ये सूफी कौन हैं --? सूफियो ने प्रत्यक्ष भारतीयता (हिंदुत्व) के प्रतिक पृथ्बीराज चौहान के खिलाफ युद्ध किया था भारत में सर्बाधिक इस्लामी करण सूफियों ने किया, लेकिन सूफी सर्किट पर काम की चर्चा बराबर की जाती है अभी २८ दिसंबर को राजगिरी महोत्सव मनाया गया यहाँ के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सूफियो की प्रसस्ति गान करते थक नहीं रहे थे, जैसे ये इस्लामिक राष्ट्र हो उन्हें यहाँ चन्द्रगुप्त, चाणक्य, कुमारिल भट्ट, आर्य भट्ट, या भगवान राम नहीं दिखाई दे रहे थे यहाँ हरिहरनाथ (सोनपुर ) से बाल्मीकि नगर तक नारायणी नदी जिसे भगवान विष्णु के माँ का स्थान प्रप्त है क्योकि इसी में सालिग्राम भगवान पाए जाते हैं, दिखाई नहीं देती यह बीजेपी यानी राष्ट्रबाद से जुडी पार्टी केवल हिन्दुओ का अपमान और कुछ नहीं यहाँ के मंत्रिमंडल की बैठक में अलीगढ वि.वि. का विषय आया तो बीजेपी चुप- चाप बैठी रही, नितीश ने अपने कुछ सगे लोगो से चर्चा की -कि मै तो मु.वि.वि. के पक्ष में नहीं था मै यह सोच रहा था की मै प्रस्ताव रखूगा बीजेपी बिरोध करेगी मेरा मुस्लिम ओट पक्का बीजेपी का हिन्दू ओट पक्का लेकिन बीजेपी ने बिरोध ही नहीं किया मै तो क्या करूँ--?
           राजगिरी में सैकड़ो वर्षो से अधिक मास का मेल लगता है यह भूमि कभी भारत के सत्ता का केंद्र हुआ करती थी यहाँ हिन्दुओ का तीर्थ है जैन मुनियों की भी तपस्थली है लेकिन अभी-अभी २७ दिसंबर को सुशील मोदी ने राजगिरी महोत्सव में सूफियो के लिए प्रसस्ति गान किये जैसे ये भूमि इस्लामिक रही हो, वास्तव में नितीश और सुशील की जोड़ी ने यह संकल्प ले रखी है की हिन्दू संस्कृति को हम समाप्त करके ही दम लेगे इस नाते हिन्दुओ को हीनता का बोध कराते रहना, पिछले दिनों सुशील मोदी जी देवघर गए थे वहां के बीजेपी के कार्यकर्ताओ ने बहुत आग्रह किया की भगवन का दर्शन करले लेकिन कई दिन रहने बावजूद भी उन्होंने दर्शन नहीं किया इतना ही नहीं जो नितीश के मन में रहता है वही सुशील जी करते हैजैसे बीजेपी नितीश की गुलाम पार्टी हो न की पार्टनर, सुशील जी ब्रिद्ध पेंशन योजना की घोषणा की यह योजना मदर टेरसा  के नाम पर की यह धरती सीता  की रही है, मदर टेरसा क्यों--? कुछ लोगो का मत है की सुशील जी ईसाई से विबाह किये हैं वह हिन्दू नहीं हुई उसके लड़का और लड़की दोनों का बप्तिश्मा हुआ है, ये सब के सब ईसाई है हिंदुत्व की क्यों चिंता करना --? हिन्दुओ को केवल बेवकूफ बनाना इसका प्रत्यक्ष उदहारण गुजरात का विरोध क्यों नरेन्द्र मोदी बीजेपी और  हिंदुत्व के पर्याय हो गए है लेकिन सुशील मोदी के गले नहीं उतर रहे हैं गुजरात इन्हें पच नहीं रही है ये बीजेपी के शत्रु जैसा ब्यवहार कर रहे है नरेन्द्र मोदी ने अपने सपथ  ग्रहण समारोह में बुलाया पूरा भारत वहां उपस्थित रहा जयललिता से लेकर ओमप्रकाश चौटाला तक सांप्रदायिक नहीं हुए लेकिन नितीश की आज्ञा से सुशील मोदी नहीं गए आखिर सुशील मोदी बीजेपी के हैं या नितीश की पार्टी के, बड़ी ही योजना बद्ध तरीके से सुशील जी ने ABVP काराष्ट्रीय अधिवेशन पटना में रखवाया अधिवेशन बहुत ही सफल रहा लेकिन इलेक्ट्रानिक मिडिया में कोई समाचार क्यों नहीं ? उसमे कहीं न कहीं अलीगढ का मुद्दा न आ जाय.
          सुशील मोदी बीजेपी के है अथवा नितीश के एजंट जो -जो बीजेपी विचार को समाप्त करने वाली बिचार धारा अथवा कार्य हो वह सब सुशील जी करते है जो इस समय बीजेपी के चेहरा नरेन्द्र मोदी जो केवल बीजेपी की ही पसंद ही नहीं संघ ,बीजेपी और विहार की जनता जिसको पसंद वह सुशील को नहीं यहाँ तक नरेन्द्र मोदी ने अपने सपथ ग्रहण में बुलाया बिहारी जनता का उपेक्षा करते हुए नहीं गए इतना ही नहीं २७ दिसंबर को दिल्ली की बैठक में नितीश के पीछे-पीछे लगे रहे भारत के सारे मुख्यमंत्री ने बधाई दी लेकिन सुशील मोदी ने नमस्ते तक की तथा नजर तक नहीं मिलायी यह प्रश्न बिहारी जनता के सामने है जनता नरेन्द्र मोदी को चाहती है अथवा सुशील मोदी को वास्तव में सुशील मोदी के बारे में राजनैतिक गलियारे में चर्चा है कि यदि समय आया तो सुशील जी नितीश के साथ होगे न की बीजेपी के साथ उसका टेलर वे दिखा चुके है विधान सभा के चुनाव में २० बिधायको का टिकट नितीश के कहने पर दिया है जो कभी भी नितीश के साथ जा सकते है.
    क्या है एजेंडा नितीश और सुशील का --------?
 १-बीजेपी के वोट बैंक को समाप्त करना.
 २-देश का बिभाजन करने वाले अलीगढ मु.वि.वि. की स्थापना.
 ३-बग्लादेशी घुसपैठियों का संरक्षण.
 ४-अल्पसंख्यक के नाम पर हिन्दू समाज को अपमानित करना.
 ५- अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलमानों अथवा आतंकबादियो को बढ़ावा देना.
 ६- लव जेहादियों को बढ़ावा देना.
 7- चर्च के माध्यम से धर्मान्तरण को बढ़ावा और बीजेपी की धार कमजोर कर देना.
 8-  गो हत्या को बढ़ावा देना .
 9- हिन्दू मठ-मंदिरों की आय को हज और चर्च के लिए देना .
 १०- जनक-जानकी और चाणक्य -चन्द्रगुप्त मौर्य, विश्वामित्र, आर्य भट्ट, कुमारिल भट्ट आदि की भूमि को सूफियो की भूमि बताकर हिन्दू समाज का अपमान करना.
 ११- ABVP के अधिवेशन का इलेक्ट्रानिक मिडिया में योजना बद्ध से रोकवाना जिससे नितीश की योजना लागु हो सके.
  १२-नरेन्द्र मोदी के बहाने बिहारी अथवा हिन्दू समाज को अपमानित करना .
 १३-  बिहारी जनता की दृष्टि में बीजेपी को नितीश के यहाँ गिरवी रखना.
 १४- बिहारी जनता की दृष्टि में बीजेपी नेता सुशील, नितीश की स्टपनी. 
 १५-बीजेपी बिहार के कार्यकर्ता यह सोचने को मजबूर है की सुशील मोदी किसके साथ हैं--?

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