भारतीय संस्कृति का प्रतीक प्रयागराज महाकुम्भ
महाकुम्भ कुम्भ सनातन धर्म में आस्था का विषय है, यह हिंदू संस्कृति के आस्था का प्रतीक है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में भी इसका वर्णन है। सूर्य की बारह राशियों में से एक राशि का नाम कुम्भ है। किसी भी...
View Articleसमयानुसार धर्मरक्षार्थ शंकराचार्यों की संख्या बढ़नी चाहिए --!
सनातन वैदिक धर्म नित्य नूतन परिवर्तन शील है, सभी को समाहित करने की क्षमता है। समय -समय पर समाज में बदलाव करने की आवस्यकता होने पर हमारे धर्मचार्यो ने समयानुकूल परिवर्तन भी किया है। लेकिन जो मूल तत्व...
View Articleक्षत्रपति शिवाजी महराज एक दूरदर्शी नेतृत्व..!
शिवाजी की दूरदर्शिता 19फ़रवरी 1630 को एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ जिसने भारत के विचार की दिशा और दशा दोनों बदल दिया जिसने लम्बे समय के पश्चात् भारत में आत्मविश्वास पैदा किया जिसका नाम था हिन्दवी...
View Articleमौलाना आजाद को समझिए..! स्वतंत्रता सेनानी अथवा और कुछ ?
मौलाना अबुल कलाम आजाद के 27 अक्तूबर 1914 को कलकत्ता में दिए गए भाषण के कुछ अंश"य़ह (मुस्लिम) बिरादरी अल्लाह द्वारा स्थापित की गयी है•••सारे दुनियावी सम्बंध खत्म हो सकते हैं पर य़ह (मुस्लमान का...
View Articleमहाकुंभ और उसकी परिणिति..!
महाकुम्भ मनुस्मृति का प्रदुर्भाव न राज्यम न राजाषित न दंडो न दण्डिका महाभारत में भीष्म पितामह बाण शैया पर पड़े थे धर्मराज युधिष्ठिर उनसे पूछते हैं कि हे पितामह जब राज्य नहीं थे और राजा नहीं थे तो शासन...
View Articleमुगल मर्दनी "महारानी ताराबाई"
मराठा साम्राज्य की महारानी ताराबाई छत्रपति संभाजी महाराज के मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य वह हिंदवी स्वराज्य कटक से अटक का छत्रपति शिवाजी महाराज के सपने को जागृत रखने का काम उनकी कुलबधू छत्रपति...
View Articleऐतरेय ब्राह्मण के रचयिता महिदास ऐतरेय
महिदास का जन्म भारतीय परंपरा में इतिहास लेखन की अद्भुत परंपरा रही है, पश्चिम के इतिहासकार यह कहते नहीं अघाते कि भारत में इतिहास लेखन की परंपरा नहीं थी। उन लोगों ने न तो हमारे ब्राह्मण ग्रंथो को पढ़ा न...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ.. सूर्या सावित्री..!
सूर्या सावित्री किसी देश का चरित्र कैसा होता है ? वह उस देश के महापुरुषों के चरित्र को देखना चाहिए उसका उदाहरण भारतीय महापुरुषों से लिया जा सकता है। जैसे शूद्रों को स्त्रियों को वेद पढ़ने का अधिकार है...
View Articleमुर्शिदाबाद का भयावह सच...!
मुर्शिदाबाद का भयावह सच "अवधेश कुमार"पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से लेकर मध्यप्रदेश का गुना और इसके पहले नागपुर , मलाड आदि की घटनाओं से निस्संदेह देश को डरना चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं कि डर कर चुपचाप...
View Articleबेलगाम होती मजहब की हिंसक प्रवृतियां
ऐसी हिंसा के लिए स्थायी तंत्र की आवश्यकता अवधेश कुमारऐसा स्वभाव वन गया है नागपुर , मुंबई के मलाड और हजारीबाग की हिंसा लगातार घट रही उस डरावनी प्रवृत्ति को ही दर्शाती है जिसे देश पिछले मोटा-मोटी तीन...
View Articleवैदिक ऋषि "शुन:शेप"....।
शुन:शेप भारतीय राष्ट्र का निर्माण कैसे हुआ ? किसने किया ? किस प्रकार हुआ ? यह कहना बड़ा कठिन है। आज के हज़ारों लाखों वर्ष ही नहीं तो करोङो वर्ष पहले राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी थी हम...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ...! ऋषिका लोपामुद्रा
"यत्र नारियस्य पूज्यंते रमंते तत्र देवता।" ( "मनुस्मृति")सनातन धर्म में सर्वाधिक पुराना सर्वमान्य ग्रन्थ, सनातन विधान "मनुस्मृति"में "महर्षि मनु"ने ये लिखा, जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ..! लोमहर्षिणी
वैदिक ऋषिकाएं भारतीय वांगमय में जो स्थान नारी को दिया गया है वह विश्व के किसी भी संस्कृति में दिखाई नहीं देता यहाँ पुरुषों से अधिक महिलाओं का स्थान है। जहाँ ऋषि महर्षि मंत्र दृष्टा है वहीं अनेक नारिया...
View Articleतक्षक, महाराजा नागभट्ट द्वितीय और अरबों के आक्रमण
अरबों के बर्बर आक्रमण तक्षक का दर्द और बदला देखिए तो आंखों से आंसू भी आएंगे और सीना चौड़ा भी हो जाएगा।सन 711ई. की बात है। अरब के पहले मुस्लिम आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम के आतंकवादियों ने मुल्तान विजय...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ...! ब्रह्मवादिनी विदुषी गार्गी
गार्गी वाचकनवीगार्गी ब्रम्हवेत्ता भारतीय नारी थी, गार्गी के बारे में उसके समय काल के बारे में इतिहासकारों, ब्रम्हवेत्ताओं में बड़े मत-भेद हैं। कुछ लोगों का मत है कि जो रामायण और उपनिषदों के प्रमाणों से...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ...! ब्रह्मवादिनी घोषा
ऋषिका घोषा का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को हुआ था वे मंत्र दृष्टा थीं ऋग्वेद के दशम मंडल में दो शुक्तों की दृष्टा थी जो इनके नाम से जाना जाता है ।ब्रम्हवादिनी घोषा सनातन धर्म में चार युग माने गए हैं,...
View Articleथारू जनजाति का वंश और उत्पत्ति
थारू का दूसरा नाम संघर्ष सनातन धर्म का इतिहास बड़ा ही रोचक और रोमांचक है। वैदिक काल में "चतुर्वर्णम मया सृष्टा, गुण, कर्म विभागसः।"का सिद्धांत था। न कोई ऊँचा था न कोई नीचा था, न कोई बड़ा था न कोई छोटा...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ..! ब्रह्मवादिनी ऋषिका विश्ववारा
ब्रम्हावादिनी विश्ववारा भारतीय दर्शन भारतीय दर्शन व भारतीय ग्रंथों को बिना पढ़े, बिना समझें कोई कुछ भी बोल सकता है क्योंकि हमारी संस्कृति उदारता को सर्वाधिक महत्व देती है। इस कारण कोई कुछ भी बोल जाता...
View Articleवैदिक ऋषिकाएँ...! ब्रह्मवादिनी अपाला
अपाला सामाजिक विकृतिभारतीय वैदिक परंपरा में "चतुरवरणम् मया सृष्टा गुण कर्म विभागसः"की परंपरा हो नित्य नूतन और युगानुकूल समय परिस्थिति अनुसार स्वीकार करने परंपरा हो, जिस समाज में दीर्घतमा, कवष एलूश,...
View Articleमुगल विजेता, महाराजा सूरजमल
मुगल मर्दक महाराजा सूरजमल महाराजा सूरजमल जाट राजवंश से आते थे मुगलों ने कोई युद्ध नहीं लड़ा जिसमें वे विजयी हुए हों, हमारे राजाओं महाराजाओं को आपस में लड़ाकर राज करते थे। एक तो इतिहास को वामपंथियों ने...
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