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Channel: दीर्घतमा
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कहीं सेकुलरिष्टों के तार अलकायदा व इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तो नहीं--------!

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            देश मे जब कभी दंगे होते हैं तो सभी सेकुलर पार्टियां एक तरफ से आरएसएस के नाम की रट लगाते रहते हैं आज़ादी के पश्चात जीतने भी दंगे हुए जिनकी न्यायिक जांच हुई किसी एक मे भी संघ का कोई प्रमाण नहीं मिला और जांच से यह साफ हो गया है की दंगे मुसलमानों का एक तरफा हिन्दुओ पर हमला है सभी खुफिया एजेंसी ने सभी शासक अथवा प्रसासक को सूचना दी हुई है आखिर फिर क्यों सभी एक स्वर से संघ का नाम लेते हैं यह विचारणीय विषय है। 
          कहीं ये सेकुलर पार्टियां इन आतंकवादियों से तो नहीं मिली हुई हैं इसकी जांच होना अवस्यक है जब कुख्यात आतंकी ''भटकल''नेपाल सीमा पर बिहार मे पकड़ा गया तो बिहार सरकार क्यों कोई पूछ-ताछ नहीं की उसे यहाँ से भागने की जल्दवाजी क्यों थी ? आखिर वोट के लिए मुसलमानों की देश-भक्ति पर संदेह पैदा करने का प्रयास हो रहा है उन्हे भाय दिखाकर राष्ट्र की मुख्य धारा मे नहीं आने दिया जा रहा है भारत के सारे मुख्यमंत्री विकसित देशों का दौरा करते हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री पाकिस्तान ही क्यों जाते हैं जाते हैं तो कहाँ जाते है कहाँ रुकते हैं कहा भोजन करते हैं इसकी जेएनसीएच होनी चाहिए कहीं इनके तर आईएसआई से तो नहीं जुड़े हैं, बंगलौर के बीजेपी कार्यालय के पास बम विस्फोट पर कांग्रेस के सकील अहमद ने कहा की यदि यह आतंकी हमला है तो इसका लाभ तो बीजेपी को ही हो सकता है आप कहना क्या चाहते हैं ? पटना की रैली मे हुए विस्फोट पर नेताओं का जो बयान आया है वे क्या दर्शाते हैं ? पी के शाही (मंत्री) का बयान है की आरएसएस का कम ही है सलमान खुर्शीद का बयान भी इसी प्रकार का है राष्ट्रवादी कांग्रेस के तारिक अनवर को भी इंडियन मुजाहिदीन आतंकी नहीं लगता, जदयू के प्रवक्ता साबिर अली कहते है की बीजेपी का ही हाथ है लगता है की इन सबका संबंध अलकायदा, इंडियन मुजाहिदीन इत्यादि आतंकी संगठनों से है इसकी जांच होनी चाहिए, जब भी कोई इस प्रकार की घटना होती है तो ये सभी एक स्वर से इनके बचाव मे खड़े नज़र आते हैं इन सभी देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए ।
          बिहार मे लगातार इंडियन मुजाहिदीन अथवा अन्य आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी हो रही है फिर भी ये सेकुलर नेता इनके बचाव से बज नहीं आ रहे हैं आखिर कारण क्या है ? कहीं इन संगठनों का रिस्ता सेकुलसिष्टों से तो नहीं जुड़ता -! यह लोग देश बिरोधी गति-विधी कब-तक चलाते रहेगे---? आखिर बम द्वारा भी नरेंद्र मोदी की रैली को प्रभावित नहीं कर सके यदि यह विस्फोट नहीं हुआ होता तो पटना नगर से और आस-पास से कम से कम दो लाख संख्या बढ़ जाती और एक लाख लोग रैली स्थल से चले गए इस प्रकार सामान्य स्थिति होती तो यह रैली आठ लाख की होती फिर भी इसने जयप्रकाश नारायण की रैली का रिकर्ड तोड़ दिया, इन सेकुलरों को पता नहीं है की देश जग रहा है आतंकवादियों के साथ मिलकर भी सेकुलरिष्ट देश को तोड़ने मे कामयाब नहीं होगे भारतीय राष्ट्रवाद को कोई दबा नहीं सकता----! 
            दुर्भाग्य तो यह है की नितीश व उनके कोई भी सहयोगी अलकायदा, हिजबुल मुजाहिदीन व इंडियन मुजाहिदीन का नाम लेने से बच रहे हैं आखिर क्यों ---------? 

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